आज Trade Unions का भारत बंद, बैंकिंग समेत कई जरूरी सेवाओं पर पड़ेगा असर
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AIBEA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ‘लोकसभा ने हाल में खत्म हुए सत्र में तीन नए श्रम कानूनों को पारित किया है और Ease of doing Busines के नाम पर 27 मौजूदा कानूनों को समाप्त कर दिया है. ये कानून शुद्ध रूप से कॉर्पोरेट जगत के फायदे के लिए हैं.
केंद्र सरकारी की नीतियों के खिलाफ Central trade unions आज एक दिन की देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगी. इस हड़ताल में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ और बैंक इम्पलॉयीज फेडरेशन ऑफ इंडिया शामिल होंगे.
हड़ताल में कौन कौन शामिल
इस हड़ताल में भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन हिस्सा ले रही हैं. इस हड़ताल में नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर और सेल्फ इम्पलॉयड वुमेंस एसोसिएशन शामिल हैं
बैंक यूनियन क्यों नाराज
AIBEA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ‘लोकसभा ने हाल में खत्म हुए सत्र में तीन नए श्रम कानूनों को पारित किया है और Ease of doing Busines के नाम पर 27 मौजूदा कानूनों को समाप्त कर दिया है. ये कानून शुद्ध रूप से कॉर्पोरेट जगत के फायदे के लिए हैं. इस प्रक्रिया में 75 परसेंट श्रमिकों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है. नए कानूनों में इन श्रमिकों को किसी तरह का कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा.’
बैंक यूनियन की मांगें
AIBEA का यह भी कहना है कि आज बैंक कर्मचारी अपनी मांगों पर भी फोकस करेंगे जैसे बैंक निजीकरण का विरोध, आउटसोर्सिंग और कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम का विरोध, नियुक्तियां, बड़े कॉर्पोरेट डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई, बैंक डिपॉजिट की ब्याज दर में बढ़ोत्तरी और सर्विस चार्ज में कटौती.
बयान में कहा गया कि वर्तमान सरकार आत्मनिर्भर भारत के नाम पर निजीकरण के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और बैंकिंग समेत इकोनॉमी के कोर सेक्टर में बड़े पैमाने पर निजीकरण कर रही है. एक नजर यूनियन की मांगों पर.
क्या हैं कर्मचारी यूनियन की मांगें
- सभी नॉन इनकम टैक्स चुकाने वाले परिवारों को 7500 रुपये प्रति महीना दिया जाए
- सभी जरूरतमंद लोगों को 10 किलो राशन प्रति व्यक्ति हर महीने दिया जाए
- यूनियन की मांग है कि मनरेगा का विस्तार किया जाए
- ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बढ़े हुए वेतन के साथ साल में 200 दिन काम दिया जाए, इसे शहरों तक बढ़ाया जाए
- किसानों और वर्कर्स के खिलाफ बनाए गए कानूनों और नियमों को वापस लिया जाए
- सरकारी कंपनियों का निजीकरण बंद किया जाए
- सरकारी मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस कंपनियों जैसे रेलवे, बंदरगाह, फैक्ट्रियों को कॉर्पोरेज के हाथों में जाने से रोका जाए.
- सरकारी कर्मचारियों के प्री-मैच्योर रिटायरमेंट के सर्कुलर को वापस लिया जाए
- National Pension System को खत्म कर सभी के लिए पेंशन की व्यवस्था की जाए
हड़ताल में महाराष्ट्र के 30,000 बैंक कर्मचारी
AIBEA में चार लाख सदस्य हैं, जिसमें कई सरकारी बैंकों, कुछ पुराने निजी बैंकों और कुछ विदेशी बैंकों के कर्मचारी भी शामिल हैं. इस यूनियन में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल नहीं हैं. महाराष्ट्र में 10 हजार सरकारी बैंकों, पुराने निजी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और विदेशी बैंकों के 30 हजार के करीब कर्मचारी इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं. Punjab and Sindh Bank जैसे कुछ बैंकों ने हड़ताल के साथ साथ ये भी सुनिश्चित किया है कि जरूरी बैंकिंग सेवाओं पर असर न पड़े.