भारत में सबको नहीं लगेगी कोरोना वायरस की वैक्सीन, हमने कभी नहीं कहा कि हम पूरी आबादी का टीकाकरण करेंगे : स्वास्थ्य मंत्रालय
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केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा है कि यदि खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन रोकने में सफलता मिली तो शायद देश की पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि ऐसे वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए। ICMR के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि देश में टीकाकरण वैक्सीन के प्रभाव पर निर्भर करेगा, और हो सकता है कि पूरी आबादी को इसे लगाने की जरूरत ही न पड़े।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि देश में अब तक 14.13 करोड़ कोविड-19 जांच की गई हैं। संक्रमित होने की दर 11 नवंबर को 7.15 प्रतिशत थी जो एक दिसंबर को 6.69 फीसदी रह गई। औसतन 10,55,386 कोविड-19 जांच रोज की गई हैं और नवंबर में औसतन 43,152 मामले रोज सामने आए। मंत्रालय ने बताया कि भारत में बीते सात दिन में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोरोना वायरस के 211 मामले और दो मौतें दर्ज की गई है।
मंत्रालय ने बताया कि सीरम इंस्ट्टीयूट के परीक्षण के विपरीत प्रभाव के हालिया आरोपों पर सरकार ने कहा कि इससे टीके की समयसीमा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शुरूआती निष्कर्षों के आधार पर ऑक्सफोर्ड कोविड-19 टीके के परीक्षण को रोकने की आवश्यकता नहीं थी। एक नवंबर से एक दिसंबर के बीच जिन शीर्ष पांच राज्यों में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या में कमी देखी गई है वे हैं, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल,आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान देश के पांच ऐसे शीर्ष राज्य हैं जहां पर एक नवंबर से एक दिसंबर के बीच कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी गई।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक (डीजी) प्रो. बलराम भार्गव ने भी कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि पहले जनसंख्या के एक बड़े पैमाने पर टीकाकरण करके वायरस की श्रृंखला को तोड़ा जाए।
उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य वायरस की श्रृंखला को तोड़ना है। अगर हम थोड़ी आबादी (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े।
हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की प्रभावकारिता एक मुद्दा है, क्योंकि यह कुछ व्यक्तियों पर इसका 60 प्रतिशत प्रभाव हो सकता है जबकि दूसरों में यह 70 प्रतिशत प्रभावकारी भी हो सकती है।